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सोमवार, 5 दिसंबर 2011

कब उसने जाना है ....



बादल से उसका  कुछ रिश्ता पुराना है ,
बरसात का इन आँखों से गहरा याराना है ..
......
अपनी ही उड़ानों से फुर्सत उसे कब कहाँ ,
किस धरती पर बरसा था कब उसने जाना है .....

.........

8 टिप्‍पणियां:

  1. अपनी ही उड़ानों से फुर्सत उसे कब कहाँ ,
    किस धरती पर बरसा था कब उसने जाना है .....बेजोड़ भावाभियक्ति....

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  2. बहुत खूब........शानदार |

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  3. शुक्रिया इमरान जी, सुषमा जी....

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  4. धन्यवाद संगीता जी,
    इतने दिन बाद आप का आगमन,स्वागत है...आपके बिना टिप्पणी बॉक्स अधूरा लगता है ,एक कमी का अहसास भी होता है ,.....अपनी दुआ बनाये रखिये ...जैसा भी लगे ,आप कहिये जरूर
    ... .

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