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मंगलवार, 27 सितंबर 2011

तुम.....

तुम झूठ  पे झूठ कहते रहे

मैं यकीं पे यकीं चिनती रही ....

मेरे यकीं के पुल के नीचे से 

तेरे झूठ की नदी बहती रही ... 

3 टिप्‍पणियां:

  1. मेरे यकीं के पुल के नीचे से

    तेरे झूठ की नदी बहती रही ...

    कितनी गहन बात ...बहुत सुन्दर

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  2. मेरे यकीं के पुल के नीचे से
    तेरे झूठ की नदी बहती रही …


    बहुत सुंदर !


    आपको सपरिवार
    नवरात्रि पर्व एवं दुर्गा पूजा की बधाई-शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  3. चंद पंक्तियाँ आप को पसंद आई इसके लिए धन्यवाद संगीता जी ,राजेंद्र स्वर्णकार जी

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